पाई,
पाई के ग्रामीणों में छोटे- छोटे बच्चों को गंदगी के साम्राज्य के बीच पढ़ाने को लेकर जिला प्रशासन के प्र्रति गहरा रोष है। ग्रामीणों को डर है कि कहीं बच्चों में बीमारी न फैल जाये। पाई के पूर्व सरंपच प्रतिनिधि बलवीर सिंह फौजी, संजय, जयपाल, दिलबाग, जसमेर, राम कुमार आदि ने बताया कि पाई के सिसमौर मार्ग पर कक्षा पांच तक का प्राथमिक स्कूल है। इस स्कूल में गंदगी का साम्राज्य बना हुआ है। स्कूल के अंदर जंगली व कांग्रेस घास पांच से छ फूट तक उगी हुई है। स्कूल के सभी बाथ रूमों का बुरा हाल है। उनके दरवाजे टूटे पड़े है और अंदर गंदगी फैली हुई है। उन्होंने बताया कि स्कूल के अंदर से गंदे पानी का नाला निकलता है। जिसका ंगदा पानी जहां स्कूल के मैदान में फैलता है, वही इसके गहरा होने के कारण छोटे- छोटे बच्चों के साथ होनी- अनहोनी का डर लगा रहता है। उन्होंने बताया कि गांव में कई करोड़ रुपये खर्च करके सीवरेज बनाये गये, परन्तु इस गंदे नाले से गंदे पानी की निकासी के लिये कोई भी सीरेजन न तो बनाया गया और न ही इसको सीवरेज से जोड़ कर स्कूल के अंदर से गंदे पानी की निकासी बंद की गई। उन्होंने बताया कि यह समस्या कोई नई नही है। कई दशकों से स्कूल में यह समस्या बनी हुई है। पूर्व सरपंच प्रतिनिधि बलवीर सिंह ने बताया कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने इस नाले को ऊंचा उठवाया था ताकि इसमें कोई छोटा बच्चा न गिर सकते, परन्तु बाद में इसमें मिट्टी डालते हुये इसको लेवल मैदान के समान्तर कर दिया। ग्रामीणों ने बताया की इस गंदे नाले में तथा घास में जहरीले जीव जन्तुओं से भी बच्चों की जिन्दगी का डर लगा रहता है। इस बारे में कई बार शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन को अवगत करवाने के बाद भी कोई ध्यान नही दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैसे को सरकार द्वारा स्कूलों को संस्कृत माडल स्कूल बनाने की बात कहती है, वही दूसरी और स्कूलों की तरफ कोई ध्यान नही दिया जा रहा। स्कूल की यह दुर्दशा सरकार के स्वच्छ भारत के दावों की पोल खोल रही है। बच्चों की पढ़ाई व जिंदगी जिला प्रशासन व अध्यापकों की लापरवाही के चलते स्कूल गंदगी की भेंट चढ़ रहा है।