कैथल, 9 नवम्बर (कृष्ण गर्ग)
उपायुक्त धर्मवीर सिंह ने बताया कि वर्तमान धान सीजन के दौरान गत वीरवार तक जिला की विभिन्न मंडियों एवं खरीद केंद्रो में 7 लाख 41 हजार 915 मीट्रिक टन धान की आवक हुई है। गत वर्ष इसी अवधि तक 8 लाख 13 हजार 653 मीट्रिक टन धान की आवक दर्ज की गई थी।
इस संदर्भ में जानकारी देते हुए उपायुञ्चत ने बताया कि कुल आवक में से ग्रेड ए किस्म का धान 6 लाख 42 हजार 857 मीट्रिक टन, 1509 किस्म का धान की आवक 43 हजार 694 मीट्रिक टन, सरबती किस्म का धान 15 मीट्रिक टन, मुच्छल किस्म का धान 16 हजार 861 मीट्रिक टन तथा बासमती किस्म का धान 38 हजार 488 मीट्रिक टन है। ग्रेड ए किस्म के धान को 1770 रुपए प्रति ञ्चिवंटल,1509 किस्म के धान को 2750 रुपए से 2875 रुपए प्रति ञ्चिवंटल, सरबती किस्म के धान को 2251 रुपए प्रति ञ्चिवंटल, मुच्छल किस्म के धान को 2550 से 3300 रुपए प्रति ञ्चिवंटल तथा बासमती किस्म के धान को 2425 रुपए से 4050 रुपए प्रति ञ्चिंवटल की दर से खरीदा गया है। उन्होंने बताया कि मिलरों द्वारा 38 हजार 746 मीट्रिक टन, डीलरों द्वारा 62 हजार 345 मीट्रिक टन, खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा 3 लाख 656 मीट्रिक टन, हैफेड द्वारा 2 लाख 6 हजार 969 मीट्रिक टन तथा हरियाणा वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा 1 लाख 33 हजार 199 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है।
उन्होंने जिला के किसानों का आह्वïान किया है कि वे अपनी धान की फसल की कटाई के बाद शेष बचे अवशेषों को आग न लगाएं, बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों की मदद से इन अवशेषों को मिट्टïी में मिलाकर उपजाऊ शञ्चित बढाएं। उन्होंने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है तथा भूमि की उर्वरा शञ्चित भी कमजोर होती है। जिला में कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिञ्चत किसानों को व्यञ्चितगत रूप से भी फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्र अनुदान पर प्रदान किए गए हैं। किसान अपनी धान की फसल के अवशेषों का इन फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों से बेहîार प्रबंधन कर सकते हैं। इन अवशेषों से पशुओं के लिए चारा भी बनाया जा सकता है। जिला प्रशासन द्वारा फसल अवशेषों को आग लगाने वाले किसानें के विरुद्घ सक्चत कार्रवाई की जा रही है तथा इस निगरानी के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है। सैटेलाइट के माध्यम से भी फसलों के अवशेष जलाने पर विशेष नजर रखी जा रही है।